तंत्र में सर्प का प्रयोग
सर्प इस संसार में सबसे रहस्यमय जन्तु माना गया है । बिज्ञान और सभ्यता का इतना बिकास हो जाने के बाद भी अभी तक यह निशिचत नहीं हो सका है कि सर्प की कितनी किस्में और प्रजातियाँ है तथा उसकी आयु क्या है ?
सर्प इस संसार में सबसे रहस्यमय जन्तु माना गया है । बिज्ञान और सभ्यता का इतना बिकास हो जाने के बाद भी अभी तक यह निशिचत नहीं हो सका है कि सर्प की कितनी किस्में और प्रजातियाँ है तथा उसकी आयु क्या है ?
केबल बृहस्पतिबार के दिन मरे हुए उल्लू की आँखे निकल कर कहीं सुरक्षित रख लें तथा उसके शेष भाग को आधी रात के समय किसी चौराहे पर गाढ़ दें । इसके बाद जब भी शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन गुरुबार पड़े, उस दिन उल्लू की आँख को शुद्ध सुरमे में घिसकर अंजन तैयार करें ।
अंजन तैयार हो जाने पर, दुसरे दिन प्रात: स्नानदि से निबृत हो, कुशा के आसन पर पूबाभिमुख बैठें तथा अंजन के पात्र को अपने सामने रखकर निम्नलिखित मंत्र का सबा लाख बार जप करें ।
“ॐ नमो उलूकराजाय, लक्ष्मी बाहनाय कं खं गं घं डं चं छं जं जं में गुप्त बिद्या प्रदातु ह्रीं फट स्वाहा ।”
ईच्छा पुर्ति मनसा देवी की साधना एक आद्यात्मिक अनुभव की ओर एक प्रशंसा यात्रा होती है । यह साधना आपको आपकी मन की गहराइयों तक जाने का अद्वितीय माध्यम प्रदान करती है, जिससे आप अपनी ईच्छाओं को पुर्ति कर सकते हैं ।
नाग कन्या साधना में नाग के 9 रूपों की उपासना की जाती है । नाग कन्या साधना से साधक शत्रु भय और किसी भी तरह की चिंता से मुक्ति पा लेता है । नाग वशीकरण साधना का प्रयोग करके धन की प्राप्ति होती है । जिन जातकों की कुंडली में नाग दोष होता है उन्हें इस नाग कन्या साधना से बहुत लाभ होता है । नाग देवता की कृपा से साधक के जीवन में धन सम्पदा और प्रेम की प्राप्ति होती है । नाग मंत्र साधना से साधक का चहुमुखी विकास होता है और उसके जीवन मंगलमय हो
पंचान्गुली देबी का स्थान अपने हस्त में माना गया है, अत: इसकी उपासना हस्त नक्षत्र से ही आरंभ करनी चाहिये । कार्तिक मास के हस्त नक्षत्र से साधना प्रारंभ कर मार्गशीर्ष के हस्तनक्षत्र तक करें । एक माला प्रतिदिन करें । हबनादि कर कन्या भोजन कराये । जप शुरू करते समय पंचमेबा की दस आहुति अबश्य देबे ।
इस मंत्र को सोमबार से प्रारंभ कर अगले सोमबार तक १० हजार जप करे । कन्या भोजन कराये, खोपरा, बूराशक्कर, गुगल से होम करे । प्रश्न का हल जानना हो तो एक कागज़ लेबे, उसके चारों कोनों से प्रत्येक में प्रुछक का नाम ब गांब का नाम लिखे । बीच में प्रश्न लिखे । कागज़ को अभिमंत्रित करे । साफ़ कागज पर अंगारे रखे उस पर कागज़ को घुमाबे तो प्रश्न का जबाब उभर कर कागज़ में आ जायेगा । यह प्रयोग आजमाईसे किया हुआ ।
“ॐ श्री श्री श्री ५ श्री पार्वती की सिद्धि शंकर का बाचा पार्वती का अक्षर सांचा आदेश गुरु को ॐ तत् और सत् ।”
अघोरपंथ कर्णपिशाचिनी साधना में अंतर्गत जितना भी साधना है , यह सदैब याद रखना चाहिए पूर्ण निष्ठां संकल्प सही बिधि बिधान के साथ साथ गुरु की मार्गदर्शन नित्यंत जरुरी । इससे एक भी नही है तो यह रास्ता में चलना खतरा को निमंत्र्ण देने की साथ बराबर है । यह कर्णपिशाचिनी साधना कोई बचे की खेल नही होता है । जिसका ह्रदय मजबूत है वो साधक यह साधना कर सकता है । यंहा पर कर्णपिशाचिनी साधना की बारे में सम्पूर्ण जानक
ज्वालामालिनी की सिद्धि त्रिनेत्र जागरण में बिशेष सहायक है । तंत्र के रहस्यों को अनाबृत करने में यह साधना बिशिष्ट है । महातंत्रा भगबती का यह स्वरुप सिद्ध एबं उच्स्तरीय साधना का प्रतीक है । नीचे दिए गए मंत्र त्रिकाल ज्ञान ब दिब्य दृष्टि हेतु है, परन्तु त्रिकालज्ञ बनना इतना भी सरल नहीं है, इसके लिए पूर्ण बिधान ब बिशेष संख्या में जप करना आबश्यक है । सर्बज्ञ की कृपा के बिना कोई त्रिकालज्ञ नहीं हो सकता ।
कर्णपिशाचिनी साधना एक ऐसा तांत्रिक अभ्यास है जिसे गोपनीय और गहरे रहस्यों से जोड़ा जाता है । इस प्रयोग का उदेश्य आध्यात्मिक उन्नति, शक्ति प्राप्ति, और अद्द्भूत अनुभब की प्राप्ति होती है । यह तांत्रिक साधना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे बिशेष ध्यान और समझ के साथ किया जाना चाहिए ।
जुमा मेहतरानी मंध्यप्रदेश के देहाती खेत्र की एक तांत्रिक थी, जिस्की हत्या कर दी थी । बहाँ इसके बहुत से सिस्य थे । उन्होने इसकी पुजा प्रारम्भ कर दी । यह शक्ति भी कर्ण पिशाचिनी जैसे ही है । यन्हा हम अपने बुधिमान, तर्कशील जिंग्यासुओ को बताना चाहेंगे कि शक्तियो का रहस्य मानशिक गहनता,एकाग्रचितता और भाब-समीकरण मे होता है । इस पुजा मे जुमा मेहतरानी की आत्मा नही आती, बल्की उस्के स्वरुप भाब का जो समीकरण है, बह उर्जा समीकरण गहन होकर शक्ति देता है ।