1 विकास की अवधारणा पुरानी है जबकि सतत विकास की यह अवधारणा नई है।
2 विकास में सिर्फ मौजूदा पीढ़ी की जरूरतों को पूरा करने पर ध्यान दिया जाता है जबकि सतत विकास में भविष्य की पीढ़ियों की जरूरत की ओर ध्यान दिया जाता है।
3 मौजूदा पीढ़ी की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन हो रहा है। इसी दोहन को रोकने के लिए सतत पोषणीय विकास की अवधारणा सामने आई।
4 अधिक से अधिक विकास के लिए कृषि क्षेत्र में ज्यादा पैदावार बढ़ाने पर ध्यान दिया जाता है जिससे मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। वही सतत विकास मिट्टी की गुणवत्ता की ओर ध्यान देने के साथ ही पैदावार बढ़ाने पर भी जोर देता है।
5 विकास के लिए अत्यधिक जीवाश्म ईंधनों का प्रयोग किया जा रहा है सतत विकास कहता है कि इन जीवाश्म ईंधनों का सीमित प्रयोग करना चाहिए।
6 विकास लंबे समय तक नहीं चलता जबकि सतत विकास लंबे समय तक चलता है।
7 विकास से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हो रहा है जबकि सतत विकास प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की बात कहता है।
8 सतत विकास को 1987 के ब्रंटलैंड आयोग की रिपोर्ट में परिभाषित किया गया जिसमें “सतत विकास एक ऐसा विकास है जो भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता रखता है, वर्तमान पीढ़ी की जरूरतों से समझौता किए बगैर।
9 विकास जहां सिर्फ मौजूदा पीढ़ी की जरूरतों को पूरा करने पर जोर देता है वही सतत विकास मौजूदा पीढ़ी के साथ-साथ भविष्य की पीढ़ी की जरूरतों की ओर भी ध्यान देता है।
10 विकास में किसी विशिष्ट क्षेत्र के विकास पर बल दिया जाता है जबकि सतत विकास में विश्व भर में विकास पर बल दिया जाता है।
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